कुछ लोग गौ तस्करी के लिए राजस्थान से हरियाणा की तरफ़ पैदल जा रहे हैं."रक़बर के क़त्ल के मामले में राजस्थान के अलवर ज़िले के रामगढ़ थाने को पहली ख़बर यही मिली थी.एफ़आईआर के मुताबिक़ घटना की ख़बर देर रात 12 बजकर 41 मिनट पर मिली. ख़बर किसी नवल किशोर शर्मा नाम के शख़्स ने दी थी.
पुलिस का कहना है कि रकबर को इसी इलाक़े के रहने वाले कुछ लोगों ने इतना पीटा था कि सरकारी अस्पताल जाते-जाते उन्होंने दम तोड़ दिया.घटना लालावंडी के जंगलों के पास की है जहाँ से पुलिस ने दो हमलावरों को मौक़ा-ए-वारदात से गिरफ़्तार किया.
एफ़आईआर में ये भी कहा गया है कि रने से पहले रकबर ने अपने बयान में अज्ञात लोगों के हमले की बात कही थी.इस बयान को एफ़आईआर में दर्ज किया गया है. इस मामले में पुलिस को सूचना देने वाले नवल किशोर विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े बताए जाते हैं.घटनास्थल से गिरफ़्तार किए गए अन्य लोगों का संबंध दूसरे हिन्दू संगठनों से बताया जा रहा है. इस बात का पता चलने पर ये मामला राजनीतिक रंग भी ले चुका है.
दूसरी तरफ़ इस मामले में राज्य के बीजेपी विधायक ज्ञान देव आहूजा ने अपने बयान से पुलिस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है.पत्रकारों से बात करते हुए आहूजा ने बताया है कि उनके कार्यकर्ताओं ने रकबर को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था.उनका ये भी कहना है कि जिस वक़्त कार्यकर्ताओं ने रकबर को पकड़ा उसने भागने की कोशिश की और उसी में वो घायल भी हो गया.
आहूजा का आरोप है कि रकबर को पुलिस के हवाले कर दिया गया था.वहीं, मामले में दूसरा मोड़ तब आया जब पुलिस को ख़बर देने वाले नवल किशोर ने एक बड़े हिंदी अख़बार को बयान दिया कि वो भी पुलिस के साथ घटना स्थल पर गए थे.उनके हवाले से अख़बार ने लिखा है कि एक बजे रात के आस-पास पुलिस दल ने रकबर को अपने क़ब्ज़े में ले लिया था.
मगर उनका आरोप है कि जब रकबर को अलवर ज़िले के रामगढ़ स्थित सरकारी अस्पताल में ले जाया गया, उस वक़्त सुबह के चार बज रहे थे जबकि घटनास्थल से अस्पताल की दूरी मात्र चार से पांच किलोमीटर ही है.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में भी ये भी कहा जा रहा है कि गायों को गौशाला पहुंचाने में से ज़्यादा वक्त रकबर को अस्पताल पहुंचाने में लगा है.
पुलिस ने अपनी प्राथमिकी में घटनास्थल से गिरफ्तार किए गए लोगों के नाम भी सार्वजनिक किए हैं और रविवार को पुलिस ने दावा किया कि रकबर पर हमला करने की घटना में शामिल व्यक्ति को भी गिरफ़्तार किया गया है.
वहीं, रकबर के साथ दुधारू गाय लेकर आने वाले असलम ने किसी तरह ख़ुद को हमलावरों के चंगुल से छुड़ाने में कामयाबी हासिल की और वो रात के अँधेरे में खेतों और जंगलों से होते हुए किसी तरह अपनी जान बचा पाए.
बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि रकबर की मौत की ख़बर उन्हें सुबह गांव लौटकर ही मिल पाई.
मगर इसी बीच मेवात की पुलिस अधीक्षक नाज़नीन भसीन ने अलवर के एसपी से व्यक्तिगत रूप से बात की और कहा कि असलम का रामगढ़ जाना मुमकिन नहीं है क्योंकि उसे भी अपनी जान को ख़तरा हो सकता है.
इसलिए मेवात की पुलिस अधीक्षक की पहल पर रविवार की दोपहर राजस्थान की पुलिस मेवात के फेरोज़पुर झिरका थाने पहुँची जहां असलम का बयान दर्ज किया गया.
पुलिस का कहना है कि रकबर को इसी इलाक़े के रहने वाले कुछ लोगों ने इतना पीटा था कि सरकारी अस्पताल जाते-जाते उन्होंने दम तोड़ दिया.घटना लालावंडी के जंगलों के पास की है जहाँ से पुलिस ने दो हमलावरों को मौक़ा-ए-वारदात से गिरफ़्तार किया.
एफ़आईआर में ये भी कहा गया है कि रने से पहले रकबर ने अपने बयान में अज्ञात लोगों के हमले की बात कही थी.इस बयान को एफ़आईआर में दर्ज किया गया है. इस मामले में पुलिस को सूचना देने वाले नवल किशोर विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े बताए जाते हैं.घटनास्थल से गिरफ़्तार किए गए अन्य लोगों का संबंध दूसरे हिन्दू संगठनों से बताया जा रहा है. इस बात का पता चलने पर ये मामला राजनीतिक रंग भी ले चुका है.
दूसरी तरफ़ इस मामले में राज्य के बीजेपी विधायक ज्ञान देव आहूजा ने अपने बयान से पुलिस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है.पत्रकारों से बात करते हुए आहूजा ने बताया है कि उनके कार्यकर्ताओं ने रकबर को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था.उनका ये भी कहना है कि जिस वक़्त कार्यकर्ताओं ने रकबर को पकड़ा उसने भागने की कोशिश की और उसी में वो घायल भी हो गया.
आहूजा का आरोप है कि रकबर को पुलिस के हवाले कर दिया गया था.वहीं, मामले में दूसरा मोड़ तब आया जब पुलिस को ख़बर देने वाले नवल किशोर ने एक बड़े हिंदी अख़बार को बयान दिया कि वो भी पुलिस के साथ घटना स्थल पर गए थे.उनके हवाले से अख़बार ने लिखा है कि एक बजे रात के आस-पास पुलिस दल ने रकबर को अपने क़ब्ज़े में ले लिया था.
मगर उनका आरोप है कि जब रकबर को अलवर ज़िले के रामगढ़ स्थित सरकारी अस्पताल में ले जाया गया, उस वक़्त सुबह के चार बज रहे थे जबकि घटनास्थल से अस्पताल की दूरी मात्र चार से पांच किलोमीटर ही है.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में भी ये भी कहा जा रहा है कि गायों को गौशाला पहुंचाने में से ज़्यादा वक्त रकबर को अस्पताल पहुंचाने में लगा है.
पुलिस ने अपनी प्राथमिकी में घटनास्थल से गिरफ्तार किए गए लोगों के नाम भी सार्वजनिक किए हैं और रविवार को पुलिस ने दावा किया कि रकबर पर हमला करने की घटना में शामिल व्यक्ति को भी गिरफ़्तार किया गया है.
वहीं, रकबर के साथ दुधारू गाय लेकर आने वाले असलम ने किसी तरह ख़ुद को हमलावरों के चंगुल से छुड़ाने में कामयाबी हासिल की और वो रात के अँधेरे में खेतों और जंगलों से होते हुए किसी तरह अपनी जान बचा पाए.
बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि रकबर की मौत की ख़बर उन्हें सुबह गांव लौटकर ही मिल पाई.
मगर इसी बीच मेवात की पुलिस अधीक्षक नाज़नीन भसीन ने अलवर के एसपी से व्यक्तिगत रूप से बात की और कहा कि असलम का रामगढ़ जाना मुमकिन नहीं है क्योंकि उसे भी अपनी जान को ख़तरा हो सकता है.
इसलिए मेवात की पुलिस अधीक्षक की पहल पर रविवार की दोपहर राजस्थान की पुलिस मेवात के फेरोज़पुर झिरका थाने पहुँची जहां असलम का बयान दर्ज किया गया.
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